AMAN AJ

Add To collaction

आर्य और काली छड़ी का रहस्य-47

    

    अध्याय-16
    समारोह
    भाग-2

    ★★★
    
    आचार्य वीरसेन ने अपने भाषण की शुरुआत की “मेरे प्यारे विद्यार्थियों, मुझे इस बात का खेद है कि हमारे आश्रम के महा अचार्य, आचार्य वर्धन तबीयत खराब होने की वजह से यहां हाजिर नहीं हो सके। वह समारोह के सामान के लिए शहर गए थे जहां शहर के कुछ विषाणुओं की वजह से वह संक्रमित हो गए। वेद आचार्य ने कहा है घबराने की कोई बात नहीं मगर उन्हें ठीक होने के लिए आराम की जरूरत है। संक्रमण आश्रम में ना फैले इसलिए उन्हें अलग भी रखा गया है। ‌ आने वाले दिनों में जल्द ही वह आश्रम में दिखाई देने लग जाएंगे।”
    
    सभी विद्यार्थियों ने यह सुनकर खेद प्रकट किया। सभी को इस बात का अफसोस था कि आश्रम के कर्ताधर्ता आचार्य वर्धन समारोह में हाजिर नहीं हो सके। 
    
    वही हिना आर्य से बोली “आचार्य ज्ञरक ने फैसला किया है कि वह इस बात को आश्रम के लोगों से छुपा कर रखेंगे। अब जब सब सही हो गया है तो वह इस बारे में बताकर आश्रम के लोगों को चिंतित नहीं करना चाहते। उन्होंने यह भी फैसला किया है कि वह तुम्हारी भविष्यवाणी वाली बात को भी छुपा कर रखेंगे। तुम्हारे सुरक्षा के लिहाज से यह करना जरूरी है। अगर यह बात आश्रम में या बाहर चली गई की तुम ही भविष्यवाणी वाले लड़के हो तो अंधेरी परछाइयां आश्रम को छोड़कर तुम्हारे पीछे पड़ जाएंगी।”
    
    “लेकिन क्या तुम्हें लगता है यह आश्रम से छुपाना बढ़िया रहेगा? मतलब उन्हें भी सब जानने का हक है?” आर्य ने अपने विचार रखे।
    
    हिना बोली “हां हर किसी को सच्चाई जानने का हक है, लेकिन सच्चाई के साथ साथ बात की गंभीरता पर भी ध्यान देना पड़ता है। अभी हमारे हालात ऐसे हैं कि ना तो अचार्य वर्धन की बात को बाहर लाया जा सकता है, ना हीं तुम्हारी बात को। सबकी भलाई इसी में है अभी जो चीजें जैसी है उन्हें वैसे ही रहने दिया जाए। ‌ फिर जब सही वक्त आएगा तो आश्रम को तुम्हारी सच्चाई बता देंगे, साथ में आचार्य वर्धन की भी।”
    
    आर्य ने गहरी सांस ली और उसे बाहर की तरफ छोड़ा। अगर देखा जाए तो एक तरफ से हिना ने सही ही कहा था। फिलहाल वह लोग ऐसी स्थिति में नहीं है की हर बात को सामने रख दे। आश्रम में अभी अपरिपक्व विद्यार्थी हैं, बाहरी खतरा भी बड़ा है, फिर खुद आर्य को भी तो अभी बहुत कुछ सीखना है। ऐसे में जो जैसे चल रहा है उसे वैसे ही चलते रहने देना एक बेहतर विकल्प है। वक्त का बहाव और समंदर में बहते पानी की दिशा निराश होने की मौके नहीं देते। 
    
    आचार्य वीरसेन आगे बोले “आचार्य वर्धन की गैरमौजूदगी में समारोह का नेतृत्व मेरे हाथों में है। समारोहों का उत्साह वर्धक भाषण देने के लिए भी मुझे ही कहा गया है।” उनकी आवाज अब कानों को मीठी लगने लगी थी। ‌“हां मैं जानता हूं, किसी युद्ध के मैदान में किसी को उत्साहित करने और किसी नए साल के मौके पर किसी को उत्साहित करने, दोनों में फर्क होता है। युद्ध के मैदान में हम अपनी मंजिल के आखिरी पड़ाव पर खड़े होते हैं, जहां हमें मुकाबला लड़कर मंजिल को हासिल करना होता है। जबकि नए साल के अवसर पर हमें एक नए सफर की शुरुआत करनी होती है। एक ऐसी शुरुआत जिसमें हमें चाहिए, आगे बढ़ने की उम्मीद, समस्याओं से लड़ने के लिए हौसला, और सब कुछ हार जाने वाले वक्त में सहारा। साल भर के सफर में हमारे जज्बात, हमारी अंदर की भावनाएं, हमें तोड़ती है। हमें दुखी करती है। हमें ऐसे माहौल में ले जाती है जहां हमारे लिए ना तो उम्मीद कोई मायने रखती है ना कोई आशा की किरण। हमें लगने लगता है जैसे हम यहां अरबों की भीड़ वाले इस दुनिया में अकेले हैं। हमारे आसपास कई सारे लोगों के होने के बावजूद हमें कोई भी साथ देने नहीं मिलता। हम एक हसीन फूलों से भरे बगीचे में भी, किसी बंजर भूमि पर खड़े व्यक्ति के समान हो जाते हैं। यह वह भावनाएं हैं जो हमें हताश करती है, हमें निराश करती है, और हमें अकेलेपन का अहसास करवाती है।” अब ऐसा कोई भी विद्यार्थी नहीं था जो उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था। “ आप लोग सोच रहे होंगे मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं। अभी आप लोग जिस उम्र में है, यानी कि युवा अवस्था, इस अवस्था में ज्यादातर युवाओं की समस्या यही होती है। उनके लिए उनके सामने खड़ी मुसीबतों इतनी बड़ी नहीं होती, जितनी बड़ी मुसीबत उनका अकेलापन और उनकी ना-उम्मीदी होती है। इसलिए युवाओं,” उन्होंने सभी समारोह में मौजूद विद्यार्थियों को 'युवाओं' शब्द से संबोधित किया। “साल भर के नए सफर में जब आप तमाम रूप से हार जाओ, पूरी तरह से अकेले हो जाओ, तब आप एक बार पीछे मुड़कर देखना। आप देखना, आपने अपना सफर कहां से शुरू किया, और आप कहां तक पहुंच गए। ‌ आप देखना, आपने अपने सफ़र में कितनी मुसीबतों को झेला। आप देखना, आप कितनी बार ना उम्मीदी का शिकार हुए। आप देखना, कितनी बार आपकी हौसलों ने जवाब दिया। आप देखना, कितनी बार आप नीचे गिरे। और आप देखना, आप देखना.... आपने कितनी बार इन सभी को हराकर अपनी जीत की ओर कदम बढ़ाएं। आप यह जरूर देखना, आप गिरने के बाद कितनी बार खड़े हुए। आप यह जरूर देखना, आपने हताशा का किस तरह से डटकर सामना किया। आप यह जरुर देखना, आखिरकार.... आप कोन हो।” उन्होंने अपने आखिरी शब्द को काफी धीमे से कहा। 
    
    सभी छात्रों की सांसे ठीक उसी तरह से हो गई थी जिस तरह से युद्ध भूमि में किसी सैनिक की ठीक युद्ध करने से पहले होती है। आचार्य वीरसेन के शब्दों में एक उम्मीद थीं। ऐसी उम्मीद जो सभी को साल भर के लिए मजबूत रहने के लिए कह रही थी।
    
    आखिर में आचार्य वीरसेन ने अपने दोनों हाथों को फैलाया और बोले मगर जोर से “मेरे प्यारे विद्यार्थियों, मेरे प्यारे युवाओं, नए साल के इस पावन अवसर पर आप सब को मेरा यही संदेश है, कभी हार मत मानना। टूट जाना, बिखर जाना, कतरा कतरा हो जाना, मगर कभी हार मत मानना। हर एक परिस्थिति का डटकर सामना करना।” 
    
    इतना कहकर वे शांत हो गए। उनके भाषण के पूरे होते ही सभी विद्यार्थियों ने जोरदार तालियां बजाई। आश्रम के गुरु भी खड़े होकर तालियां बजाने लगे। बाकी के जो अचार्य यहां मौजूद थे उन्होंने भी तालियां बजाकर आचार्य वीरसेन के इन शब्दों का अभिवादन किया। 
    
    धीरे-धीरे तालियों की आवाज कम होने लगी। ‌ जब तालिया पूरी तरह बंद हो गई तब आचार्य वीरसेन ने कहा “अब समारोह शुरू है। संगीत की धुन जल्दी शुरू हो जाएगी। ‌ ठीक 2 घंटे बाद खाना खाने के साथ ही समारोह खत्म होगा।‌ तब तक आप सब खुशियां बनाईए।”
    
    इतना कहकर वह चले गए जबकि विद्यार्थियों के बीच शोरगुल होने लगा। जल्द ही एक मधुर म्यूजिक की धुन सुनाई देने लगी जो मॉडर्न जमाने का था। आश्रम के विद्यार्थी डांस करने लगे। ज्यादातर लड़कों ने लड़कियों के साथ जोड़ी बना ली थी। 
    
    हिना और आर्य भी डांस कर रहे थे। हिना का एक हाथ आर्य के हाथ में था, जबकि एक हाथ उसके कंधे पर। वहीं आर्य का दूसरा बचा हुआ हाथ हिना की कमर पर था। दोनों एक दूसरे के करीब होकर डांस कर रहे थे। इतने करीब कि उन्हें एक दूसरे के सांसों की आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी।
    
    हिना ने डांस करते-करते मीठी आवाज में कहा “वैसे मुझे यह सवाल पूछना तो नहीं चाहिए, क्योंकि यह एक बेवकूफी से भरा सवाल होगा। मगर मुझे फिर भी इसका जवाब जानना है।”
    
    “कौन सा सवाल...?” आर्य ने उसके डांस में उसका साथ देते हुए पूछा।
    
    “हममममम...” हिना ने सोचने वाला चेहरा बनाया “यही कि तुम्हारी अब आने वाले समय को लेकर क्या प्लानिंग है... अब तुम क्या करने वाले हो?” 
    
    डांस में लड़कियों को गोल गोल घुमाने वाली बारी आ गई थी, इसलिए जवाब देने से पहले आर्य ने हिना को गोल-गोल घूमाया और फिर उसे वापस करीब कर लिया। एक बार फिर से दोनों पहले जैसे हो गए थे।
    
    आर्य ने सोचते हुए जवाब दिया “इस बारे में तो मैं भी ज्यादा कुछ नहीं जानता। फिर अभी मेरी उम्र भी इतनी नहीं है कि मैं कहीं किसी कोने पर बैठ कर यह सोचुं कि आने वाले समय में क्या करूं। मैं अभी सिर्फ 16 साल का हूं और यह एक बहुत छोटी उम्र होती है, अपने भविष्य को लेकर प्लानिंग बनाने की।”
    
    “नहीं..!!” हिना ने अजीब सा मुंह बनाया। ऐसा मुंह जिसमें उसने अपने मुंह के अंदर अपनी जीभ को गालों से लगा लिया था। “यह कोई ढंग का जवाब नहीं। भले ही किसी की उम्र कम हो या ज्यादा, लेकिन हर कोई आने वाले समय के लिए प्लानिंग बनाकर रखता है। अब जैसे कि मैं आने वाले समय में अपने जादू को बढ़िया करूंगी। उसमें काफी सारी ऐसी चीजें हैं जो की जा सकती है, जैसे कि उस जादू की मदद से उड़ा भी जा सकता है, मैं उन सब को सीखने की कोशिश करूंगी। वहीं अगर तुम मेरे भाई की बात करो तो उसकी फ्यूचर प्लानिंग यह है कि वो अपने खाने वाले काम को बढ़िया करेगा। वह एक अच्छा रसोईया बनेगा। उसी तरह से... तुम भी तो आगे जाकर कुछ ना कुछ करोगे...?”
    
    “आं...” आर्य ने अपनी आंखें ऊपर कर गहरी सोचने वाली अवस्था दिखाई। “तब तो शायद मैं आने वाले समय में तलवारबाजी सिखुं। मैं अपनी फ्यूचर प्लानिंग में तलवारबाजी में माहिर होना चाहता हूं। हां, वैसे मुझे तलवार से कोई खास लगाव नहीं था। बस रोशनी वाली तलवार आने के बाद तलवार अच्छी लगने लगी। ऐसे में मैं अब तलवार चलाना मन से सीखुगां।”
    
    हिना ने मुस्कुराहट दिखाई “वह तलवार तुम्हारे लिए ही बनाई गई थी। चलो अच्छा ही है। क्योंकि तुम्हारी फ्यूचर प्लानिंग भी ज्यादा बुरी नहीं है। आने वाला समय स्किल इंप्रूवमेंट करने को दिया जा सकता है।”
    
    “वैसे मैं तो कुछ और ही सोच रहा हूं। मगर शायद अभी उसके लिए सही वक्त नहीं है।” आर्य के चेहरे पर हल्की हताशा सी आ गई।
    
    “कुछ और!! मगर क्या?”
    
    “तुम्हें पता है ना मेरे लिए मेरे बाबा ही सब कुछ थे। उन्होंने मुझे पाला पोषा, मुझे बड़ा किया, मुझे शुरुआती दुनिया की हर एक चीज के बारे में बताया। और कुछ अंधेरी परछाइयों ने उनकी जान ले ली। मैं आने वाले समय में उनकी जान लेने वाली उन अंधेरी पछाइयों को ढूंढ कर मारना चाहता हूं। मुझे अपने बाबा की मौत का बदला लेना है”
    
    “हां यह तो मुझे भी लेना है। मतलब मैं भी अपने मां-बाप की मौत का बदला लेना चाहती हूं।” हिना दुबारा गोल गोल घुमी और वापिस आर्य की बाहों में आ गई “मगर इसके लिए जरूरी है पहले सभी चीजों को बेहतर ढंग से सीखा जाए। जैसे कि मेरे मामले में जादु, और तुम्हारे मामले में तलवारबाजी। जब हमें अच्छे से लड़ना आ जाएगा तो हम मिलकर इस काम को अंजाम देंगे। मैं तुम्हारी मदद करूंगी, और तुम मेरी कर देना। अच्छे दोस्त हैं तो इस तरह की चीजों में एक दूसरे का साथ देंगे।”
    
    इस बार आर्य ने मुस्कुराहट दिखाई “तुम्हारी दोस्ती काफी फायदेमंद रहने वाली है।”
    
    हिना ने भी जवाब देते हुए कहा “और तुम्हारी भी। तुम तो हो भी भविष्यवाणी वाले लड़के.... मैंने तुम्हारी सुपर स्पीड वाली पावर देखी है, पता नहीं अब तुममें और कितना कुछ खास है?”
    
    “लगता है आने वाला वक्त कई सारी दिलचस्प चीजों से भरा है। ऐसी दिलचस्प चीजें जिन्हें हर कोई जानना चाहेगा। मैं भी यह जानने में दिलचस्पी रखता हूं कि मेरे पास और कौन कौन सी शक्तियां हैं। मेरे ख्याल से शायद जिंदगी के आने वाले भविष्य में सस्पेंस की कमी नहीं रहने वाली।”
    
    दोनों ही एक दूसरे की बातों में खो रहे थे, और एक दूसरे की बाहों में भी, यह उनके लिए एक हसीन और यादगार लम्हा था। यकीनन हिना ने जो कहा वह सच था, यह बस किसी सफर की शुरूआत मात्र है। एक ऐसी कहानी की जो असल मायनों में शुरू तो अब हुई है। इस कहानी के कई सारे पर्दे हैं, कई सारे मोड हैं, कई सारे दिलचस्प पहलू है, जिनका एक के बाद एक सामने आना बाकी है। यह बस एक कदम मात्र है... उस मंजिल की ओर जो अभी बहुत दूर है। वक्त बेवक्त अभी हमें बहुत लंबा सफर तय करना है।
    
       ★★★
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    
    ‌
    
    
    
    
    
    

   5
0 Comments